27 November, 2010

नींद!

रात ठहरी हैं अभी, वक़्त अभी हैं बाकी,
वो दूर कहीं रौशनी का, अभी एक ही सिक्का उछला हैं,


नए रिश्तों की बीज बोई हैं, जज्बातों को सींचना अभी हैं बाकी,
कुछ पुरानी यादों का, अभी एक ही दौर गुज़रा हैं,


कुछ खोया हैं अभी, कुछ पाने की चाहत अभी हैं बाकी,
इन आंसू भरे फ़रियाद से, अभी एक ही क़र्ज़ उतरा हैं,


ख्वाब ठहरी हैं अभी, वक़्त अभी हैं बाकी,
इन आँखों में नींद का, अभी एक ही लम्हा गुज़रा हैं!

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