19 January, 2011

निश्चय

मैं थका मांदा, भटका राहें,
लक्ष्य, दूर निकलने को हैं ,
हाथ बढ़ाये , आँखें गढ़ाए उठ चला हूँ ,
कोई साथ आये , न आये , कदम चल पडे मंजिल को हैं

गिनती की हैं सांसें अपनी ,
जीवन धारा सिमटने को हैं ,
हर एक सांस की देके दुहाई ,
सब्र का बाँध ,अब टूटने को हैं ,

मैं थका मांदा, भटका राहें,
लक्ष्य, दूर निकलने को हैं ,


घने मेघ मंडलाए क्षितिज पर ,
प्रचंड तेज बरसाने को हैं ,
उठे गहेन आंधी कई ,
हवाओं की दिशा अब बदलने को हैं


हाथ बढ़ाये , आँखें गढ़ाए उठ चला हूँ ,
कोई साथ आये , न आये , कदम चल पडे मंजिल को हैं

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