आँखों में उतरा हुआ , कुछ देर का मेहमान हूँ ,
कतरे दो बूंदों के , फुगान -ए -पाबंद हूँ ,
बहके रुका कभी , छलक के गिरा ,
तेरे ही तकदीर का , मैं माज़ी -ए -मुहाफ़िज़ हूँ ,
आँखों में उतरा हुआ , कुछ देर का मेहमान हूँ .
दीदा -ए -तर तले , खुश्क लकीर सी बनती रही ,
बीती यादों के अंधेरे में , उम्मीद यूँही जलती रही ,
तेरे ही ख्यालों में , बस रात भर जागा हूँ ,
आँखों में उतरा हुआ कुछ देर का मेहमान हूँ .
कतरे दो बूंदों के , फुगान -ए -पाबंद हूँ ,
बहके रुका कभी , छलक के गिरा ,
तेरे ही तकदीर का , मैं माज़ी -ए -मुहाफ़िज़ हूँ ,
आँखों में उतरा हुआ , कुछ देर का मेहमान हूँ .
दीदा -ए -तर तले , खुश्क लकीर सी बनती रही ,
बीती यादों के अंधेरे में , उम्मीद यूँही जलती रही ,
तेरे ही ख्यालों में , बस रात भर जागा हूँ ,
आँखों में उतरा हुआ कुछ देर का मेहमान हूँ .
1 comment:
Very nice !! I liked this one a lot!
Keep up the good work Dada!
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